Followers

Monday, January 20, 2014

मदद में स्वार्थ नहीं ढूंढे ...

जनवरी कि एक सर्द शाम को मेरे शहर भोपाल में बादल खूब जम कर बरस चुके थे । मैंने जब देखा कि बारिश और हो सकती है तो मैंने अपना सारा सामान अपने वॉटर-प्रूफ़ बैग में डाला और मैं निकल पड़ा अपने ऑफिस से घर जाने के लिये । मेरे ऑफिस और घर के रास्ते में एक रेलवे क्रासिंग पड़ती है और मुख्य मार्ग से उस क्रासिंग तक जाने के दो रास्ते हैं । एक रास्ता जिसको हम पक्का रास्ता बोल सकते है क्योंकि उस पर बहुत ज्यादा टूटी-फूटी ही सही मगर एक सड़क बनी हुई है और एक मिट्टी का कच्चा रास्ता है जो किसी ने बनाया नहीं है अपने आप बन गया है और जब बारिश न हो तब वो रास्ता पक्के रास्ते से ज्यादा समतल रहता है ।
तो मैं जब उस रेलवे क्रासिंग के करीब पहुँच रहा था तब बारिश के बावजूद मैंने पता नहीं क्यों उस कच्चे रास्ते हो चुन लिया और कुछ दूरी पार करते ही मैं अपनी बाइक समेत कीचड़ में बुरी तरह से फंस गया । मैंने देखा कुछ दूरी पर एक और व्यक्ति फंसा हुआ था और अपनी बाइक कीचड़ से निकालने कि कोशिश कर रहा था । मैं भी अपनी बाइक  निकालने कि कोशिशों में जुट गया । 
जब मैं बाइक  निकालने की कोशिश कर रहा था तभी मुझे उस ओर एक और बाइक आती नज़र आयी । मैंने उसे तुरंत रुकने का इशारा किया और बोला कि," यहाँ मत आओ, बहुत ज्यादा कीचड़ है और तुम बाइक समेत फंस जाओगे " तो उस पर सवार लड़के ने अपनी बाइक तुरंत रोक दी और कुछ दूर पैदल चल कर मेरी तरफ आने लगा । मैंने उसके पहनावे को देख कर कहा कि, "यहाँ मत आओ तुम्हारे जूते और कपडे कीचड़ में ख़राब हो जायेंगे, जैसे मेरे हो गए हैं "। मेरा ये बोलने के बाद जो उस लड़के ने बोला वो मेरे मानस पटल पर बहुत गहरी छाप छोड़ गया, वो बोला कि, " भैया अगर आप मुझे नहीं रोकते तो मेरे जूते और कपडे तो ख़राब होने ही थे, आपके बोलने के कारण मेरी बाइक इस कीचड़ में फंसने से बच गयी और आपकी बाइक भारी है आप अकेले नहीं निकाल पाओगे" ।
फिर उसने मेरी बाइक निकलने में मेरी मदद की, बिना किसी झिझक और परवाह किये । मेरी बाइक निकलवाने के बाद उस लड़के ने उस दूसरे व्यक्ति कि भी मदद कि और उसकी बाइक भी बाहर निकलवा दी । फिर वो लड़का बोला कि, " भैया अब आप पहियों को थोड़ा साफ़ करके घर जा सकते हो", और ऐसा कह कर वो अपनी बाइक ले कर चला गया । वैसे तो मैंने उस लड़के को धन्यवाद बोला था उसकी इस मदद के लिए लेकिन मुझे अब भी लग रहा है कि शायद वो धन्यवाद कम था । इस उहापोह कि स्थिति में मैं उस लड़के से उसका नाम भी पूछना भूल गया और ये बात मुझे शायद पूरी ज़िन्दगी परेशान करेगी । 
एक न भूलने वाला सबक वो मुझे दे गया था कि आप जिस तरह और जितनी मदद कर सकते हो करो और मदद के समय ये मत देखो कि आप जिसकी मदद कर रहे हो वो आपका परिचित है या नहीं ...
धन्यवाद दोस्त... ईश्वर करे कि मैं तुमसे दुबारा मिलने का मौका मिले और धन्यवाद मुझे ये सीखने के लिखे कि मदद निस्वार्थ भाव से भी कि जा सकती है । 


यह घटना मेरे साथ जनवरी १८, २०१४ को बावर्ची ढाबे के पास होशंगाबाद रोड पर शाम ६:३० के आस-पास घटित हुई थी । 
Wednesday, January 15, 2014

भारतीय राजनीति : आजकल

भारतीय राजनीति आजकल एक नए दौर से गुजर रही है । इस नए दौर में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं ।  अरविन्द केजरीवाल ने जब से आम आदमी पार्टी या यूँ कहे कि आप का गठन किया है तब से इस दौर कि  शुरुआत मानी जा सकती है ।  जब आप का गठन हुआ था तब सभी पार्टियों ने इस नयी पहल को बहुत हलके में  था लेकिन दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों के बाद स्थितियाँ  बहुत बदल गयी है ।
दिल्ली विधानसभा चुनावों ने भारत कि सभी राजनैतिक पार्टियों को एक अति-महत्वपूर्ण सिख दी है कि सुधर जाओ नहीं तो खत्म कर दिए जाओगे । वैसे दिल्ली केजरीवाल का कर्मक्षेत्र रहा है और मेरे हिसाब से सिर्फ वहाँ मिली सफलता से आप को अतिउत्साहित नहीं होना चाहिए जो कि आजकल नज़र आ रहा है ।
कुमार विश्वास का अमेठी से चुनाव लड़ना मेरे हिसाब से उस अति उत्साह का ही नतीज़ा है । आप को लगता है कि जैसे वो दिल्ली में शीला दीक्षित को हरा सकते है वैसे ही अमेठी में राहुल गांधी को हरा देंगे तो मेरा यह मानना है कि शीला दीक्षित को खुद अरविन्द केजरीवाल ने हराया था और कुमार विश्वास चाह कर भी केजरीवाल नहीं बन सकते है । अमेठी में राहुल गांधी ने एक सांसद के तौर पर बहुत काम किया है और उनकी पार्टी कि धूमिल होती छवि से उन्हें शायद ही कोई व्यक्तिगत नुक़सान हो ।
आप नेता योगेन्द्र यादव जी का कहना कहना है कि मुकाबला आप और बीजेपी में है और कांग्रेस कहीं भी तस्वीर में नहीं हैं । योगेन्द्र जी कांग्रेस का तो इस बार बुरा हाल होना तय था चाहे आप होती या न होती, आप के आ जाने से नुक़सान बीजेपी को ही होगा । मुझे और बीजेपी के ताज़ा बयानों को देख कर ऐसा लगता है कि आप और बीजेपी कि लड़ाई में कांग्रेस को फायदा हो सकता है क्योंकि आप के आने से बीजेपी का वोट बैंक आप की तरफ जा सकता है और अगर ऐसा हुआ तो कम वोट के सहारे ही सही कांग्रेस नुकसान को कम सकती है । भैया ऐसा है कि दो बिल्लियों कि लड़ाई में अक्सर फायदा बन्दर को हो जाता है ।
नमो आप से डर गए है क्योंकि यदि आप ने उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतार दिए तो नुक़सान सबसे ज्यादा बीजेपी को ही होगा । उत्तर प्रदेश में आप समेत ५ पार्टियां प्रमुखता से चुनाव लड़ेंगी और सपा-बसपा के वजूद को नकारना गलत होगा । महाराष्ट्र में तो शिव सेना, राज ठाकरे, एन सी पी की पकड़ बहुत ज्यादा है तभी तो बीजेपी को शिव सेना और कांग्रेस को एन सी पी का सहारा है । हाँ मध्य प्रदेश और गुजरात में कोई बड़ा नुक़सान बीजेपी को होता नज़र नहीं आ रहा है लेकिन नमो को प्रधानमंत्री बनना है तो बीजेपी को एकला चलो ही अपनाना पड़ेगा ।
वैसे आप और कांग्रेस दोनों आजकल एक ही समस्या से दो चार हो रहे है और वो है उनके भस्मासुर । दोनों ही पार्टियों के पास भस्मासुरों कि कमी नहीं और अगर समय रहते इनसे नहीं निपटा गया तो दोनों को नुकसान होना तय है । मुझे नहीं लगता कि मुझे यहाँ आप या कांग्रेस को भस्मासुरों  बताने ज़रूरी हैं ।
अंततः मुझे जो समझ आया है अभी तहतक वो यह है कि बीजेपी पूरी ताकत से नमो को प्रधानमंत्री बनाना छह रही है, कांग्रेसी राहुल पार्को जितवाने कि कोशिश करने की जगह उनसे ये उम्मीद पाले बैठे है कि ये हमें जितवाएगा और आप तो बस आप है उनको क्या कहें...

Thursday, December 30, 2010

कुछ अलग करना चाहता हूँ...

करीब-करीब साल भर बाद आज थोडा वक़्त मिला है कुछ लिखने लायक पर बिलकुल भी समझ नहीं आ रहा है कि क्या लिखा जाए | साल भर में परिस्थितियां बहुत बदल सी गयी लगती है जैसे अब शादीशुदा हूँ और इस बात को हँसते हुए बताऊ या रोते हुए पता नहीं...
अब कुछ बड़ा करने का मन कर रहा है समथिंग रिअली बिग... आजकल ऑफिस में तो ऐसा लगता है जैसे टाइम पास करने आये हुए है और बदकिस्मती से वह भी नहीं कर पाते है और जैसे मन उकताहट कि परिकाष्ठा से गुजर रहा है | आज मैं हिंदुस्तान में बनी पहली एनिमेशन फिल्म देख रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कि १९७० के दशक में भी भारतीय एनिमेशन बहुत अच्छा हुआ करता था, शायद आपको याद हो " एक चिड़ियाँ अनेक चिड़ियाँ...", हांजी ये हिंदुस्तान में बनी पहली एनिमेशन फिल्म थी | वैसे आप सोच रहे होंगे कि मैंने बात कि शुरुआत कहा से कि थी और मैं बात को कहाँ ले गया या ले जा रहा हूँ पर क्या करू कुछ लिखना चाहता हूँ और समझ नहीं आ रहा कि क्या लिखना चाह रहा हूँ :(
कल सोच रहा था कि थोडा स्मिथ को भला-बुरा बोलू, वैसे भला तो क्या बोलता बुरा कि बोलता अगर बोलता तो क्योंकि मैं एक आलोचक हूँ और ऐसा मैं नहीं कहता मेरे आस पास वाले कहते हैं | आजकल लोग ये भूल गए है कि "निंदक नियरे रखिये..." वैसे मुझे कहीं बाहर भी नहीं जाना पड़ता है क्योंकि कुछ लोग मेरे घर में ही मिल जाते है इस तरह के जो निंदक पास नहीं रखना चाहते हैं | मुझसे लोग कहते है कि मैं किसी कि नहीं सुनता पर कोई ये जाने कि कोशिश नहीं करता कि क्यों नहीं सुनता हूँ |
आजकल सबको यही लगता है कि सिर्फ वह ही सही है तो ये मुझे भी लगे कि मैं ही सही हूँ तो इसमें गलत क्या हैं? सब केवल गल्तियाँ गिनाते है तो मैं भी गिनाता हू और इसमें गलत क्या है ????
आज भी मेरे ऑफिस में कुछ काम नहीं हुआ क्योंकि विदेश में सब क्रिसमस और न्यू इयर जो बना रहे है और हम यहाँ रोज़ ८ घंटे उनका इन्तजार कर रहे है कि उनका बन जाए तो हम काम चालू करे क्यों ऑफिस तो आना ही है चाहे काम हो या ना हो |
वैसे अगले कुछ दिनों में मैं कुछ लिखू ना लिखू इसलिए अभी लिख देता हूँ कि हर उस को नव वर्ष कि शुभकामनायें जो गलती से मेरे इस ब्लॉग को पढ़ रहा हैं |
चलिए हुआ तो घर जा कर कुछ लिखने कि कोशिश करूँगा...

About Me

My Photo
Aditya Dubay
हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |
View my complete profile