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Wednesday, January 15, 2014
भारतीय राजनीति : आजकल
भारतीय राजनीति आजकल एक नए दौर से गुजर रही है । इस नए दौर में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं । अरविन्द केजरीवाल ने जब से आम आदमी पार्टी या यूँ कहे कि आप का गठन किया है तब से इस दौर कि शुरुआत मानी जा सकती है । जब आप का गठन हुआ था तब सभी पार्टियों ने इस नयी पहल को बहुत हलके में था लेकिन दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों के बाद स्थितियाँ बहुत बदल गयी है ।
दिल्ली विधानसभा चुनावों ने भारत कि सभी राजनैतिक पार्टियों को एक अति-महत्वपूर्ण सिख दी है कि सुधर जाओ नहीं तो खत्म कर दिए जाओगे । वैसे दिल्ली केजरीवाल का कर्मक्षेत्र रहा है और मेरे हिसाब से सिर्फ वहाँ मिली सफलता से आप को अतिउत्साहित नहीं होना चाहिए जो कि आजकल नज़र आ रहा है ।
कुमार विश्वास का अमेठी से चुनाव लड़ना मेरे हिसाब से उस अति उत्साह का ही नतीज़ा है । आप को लगता है कि जैसे वो दिल्ली में शीला दीक्षित को हरा सकते है वैसे ही अमेठी में राहुल गांधी को हरा देंगे तो मेरा यह मानना है कि शीला दीक्षित को खुद अरविन्द केजरीवाल ने हराया था और कुमार विश्वास चाह कर भी केजरीवाल नहीं बन सकते है । अमेठी में राहुल गांधी ने एक सांसद के तौर पर बहुत काम किया है और उनकी पार्टी कि धूमिल होती छवि से उन्हें शायद ही कोई व्यक्तिगत नुक़सान हो ।
आप नेता योगेन्द्र यादव जी का कहना कहना है कि मुकाबला आप और बीजेपी में है और कांग्रेस कहीं भी तस्वीर में नहीं हैं । योगेन्द्र जी कांग्रेस का तो इस बार बुरा हाल होना तय था चाहे आप होती या न होती, आप के आ जाने से नुक़सान बीजेपी को ही होगा । मुझे और बीजेपी के ताज़ा बयानों को देख कर ऐसा लगता है कि आप और बीजेपी कि लड़ाई में कांग्रेस को फायदा हो सकता है क्योंकि आप के आने से बीजेपी का वोट बैंक आप की तरफ जा सकता है और अगर ऐसा हुआ तो कम वोट के सहारे ही सही कांग्रेस नुकसान को कम सकती है । भैया ऐसा है कि दो बिल्लियों कि लड़ाई में अक्सर फायदा बन्दर को हो जाता है ।
नमो आप से डर गए है क्योंकि यदि आप ने उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतार दिए तो नुक़सान सबसे ज्यादा बीजेपी को ही होगा । उत्तर प्रदेश में आप समेत ५ पार्टियां प्रमुखता से चुनाव लड़ेंगी और सपा-बसपा के वजूद को नकारना गलत होगा । महाराष्ट्र में तो शिव सेना, राज ठाकरे, एन सी पी की पकड़ बहुत ज्यादा है तभी तो बीजेपी को शिव सेना और कांग्रेस को एन सी पी का सहारा है । हाँ मध्य प्रदेश और गुजरात में कोई बड़ा नुक़सान बीजेपी को होता नज़र नहीं आ रहा है लेकिन नमो को प्रधानमंत्री बनना है तो बीजेपी को एकला चलो ही अपनाना पड़ेगा ।
वैसे आप और कांग्रेस दोनों आजकल एक ही समस्या से दो चार हो रहे है और वो है उनके भस्मासुर । दोनों ही पार्टियों के पास भस्मासुरों कि कमी नहीं और अगर समय रहते इनसे नहीं निपटा गया तो दोनों को नुकसान होना तय है । मुझे नहीं लगता कि मुझे यहाँ आप या कांग्रेस को भस्मासुरों बताने ज़रूरी हैं ।
अंततः मुझे जो समझ आया है अभी तहतक वो यह है कि बीजेपी पूरी ताकत से नमो को प्रधानमंत्री बनाना छह रही है, कांग्रेसी राहुल पार्को जितवाने कि कोशिश करने की जगह उनसे ये उम्मीद पाले बैठे है कि ये हमें जितवाएगा और आप तो बस आप है उनको क्या कहें...
दिल्ली विधानसभा चुनावों ने भारत कि सभी राजनैतिक पार्टियों को एक अति-महत्वपूर्ण सिख दी है कि सुधर जाओ नहीं तो खत्म कर दिए जाओगे । वैसे दिल्ली केजरीवाल का कर्मक्षेत्र रहा है और मेरे हिसाब से सिर्फ वहाँ मिली सफलता से आप को अतिउत्साहित नहीं होना चाहिए जो कि आजकल नज़र आ रहा है ।
कुमार विश्वास का अमेठी से चुनाव लड़ना मेरे हिसाब से उस अति उत्साह का ही नतीज़ा है । आप को लगता है कि जैसे वो दिल्ली में शीला दीक्षित को हरा सकते है वैसे ही अमेठी में राहुल गांधी को हरा देंगे तो मेरा यह मानना है कि शीला दीक्षित को खुद अरविन्द केजरीवाल ने हराया था और कुमार विश्वास चाह कर भी केजरीवाल नहीं बन सकते है । अमेठी में राहुल गांधी ने एक सांसद के तौर पर बहुत काम किया है और उनकी पार्टी कि धूमिल होती छवि से उन्हें शायद ही कोई व्यक्तिगत नुक़सान हो ।
आप नेता योगेन्द्र यादव जी का कहना कहना है कि मुकाबला आप और बीजेपी में है और कांग्रेस कहीं भी तस्वीर में नहीं हैं । योगेन्द्र जी कांग्रेस का तो इस बार बुरा हाल होना तय था चाहे आप होती या न होती, आप के आ जाने से नुक़सान बीजेपी को ही होगा । मुझे और बीजेपी के ताज़ा बयानों को देख कर ऐसा लगता है कि आप और बीजेपी कि लड़ाई में कांग्रेस को फायदा हो सकता है क्योंकि आप के आने से बीजेपी का वोट बैंक आप की तरफ जा सकता है और अगर ऐसा हुआ तो कम वोट के सहारे ही सही कांग्रेस नुकसान को कम सकती है । भैया ऐसा है कि दो बिल्लियों कि लड़ाई में अक्सर फायदा बन्दर को हो जाता है ।
नमो आप से डर गए है क्योंकि यदि आप ने उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतार दिए तो नुक़सान सबसे ज्यादा बीजेपी को ही होगा । उत्तर प्रदेश में आप समेत ५ पार्टियां प्रमुखता से चुनाव लड़ेंगी और सपा-बसपा के वजूद को नकारना गलत होगा । महाराष्ट्र में तो शिव सेना, राज ठाकरे, एन सी पी की पकड़ बहुत ज्यादा है तभी तो बीजेपी को शिव सेना और कांग्रेस को एन सी पी का सहारा है । हाँ मध्य प्रदेश और गुजरात में कोई बड़ा नुक़सान बीजेपी को होता नज़र नहीं आ रहा है लेकिन नमो को प्रधानमंत्री बनना है तो बीजेपी को एकला चलो ही अपनाना पड़ेगा ।
वैसे आप और कांग्रेस दोनों आजकल एक ही समस्या से दो चार हो रहे है और वो है उनके भस्मासुर । दोनों ही पार्टियों के पास भस्मासुरों कि कमी नहीं और अगर समय रहते इनसे नहीं निपटा गया तो दोनों को नुकसान होना तय है । मुझे नहीं लगता कि मुझे यहाँ आप या कांग्रेस को भस्मासुरों बताने ज़रूरी हैं ।
अंततः मुझे जो समझ आया है अभी तहतक वो यह है कि बीजेपी पूरी ताकत से नमो को प्रधानमंत्री बनाना छह रही है, कांग्रेसी राहुल पार्को जितवाने कि कोशिश करने की जगह उनसे ये उम्मीद पाले बैठे है कि ये हमें जितवाएगा और आप तो बस आप है उनको क्या कहें...
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About Me
- Aditya Dubay
- हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |
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