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Friday, June 12, 2009

सुपर ८ में भारत

हाँ तो भइया रात के पौने बारह बज रहे है और हम एक सच्चे देशभक्त की तरह भारत-वेस्ट इंडीज का टी २० मुकाबला देख रहे है। वैसे युसूफ पठान की पारी ने कुछ हद तक भारत को मुकाबले में ला दिया है नही तो हमारे खिलाड़ियों ने क्रिस गेल को एक आसन सा लक्ष्य देने का मन बना लिया था , लेकिन देखिये युसूफ पठान में तो जैसे बिल्कुल टीम भावना नही है तभी तो शायद उन्होंने कहा की नही अगर वेस्ट इंडीज को ये मैच जितना है तो उनको थोडी मेहनत करनी ही पड़ेगी।
अरे ये क्या ? अब तो इरफान पठान भी अपने भाई का साथ देने लगे और टीम से बगावत करने हुए अपने पहले ही ओवर में फ्लेचर को आउट कर दिया... अब शायद कप्तान साब उन्हें इस मैच में दुबारा बोलिंग का मौका नही देगे।
चलिए देखते है अब क्या होता है...

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Aditya Dubay
हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |
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