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Saturday, June 13, 2009

जैसा की सोचा था...

कल रात का जागरण आख़िरकार बेकार गया :( और भारत हमेशा की तरह "करो या मरो" में पड़ने की अपनी आदत पर लौट आया है। अब तक तो कप्तान साब की चतुराई की हर तरफ़ तारीफ़ हो रही थी और इसमे कोई दो-राय भी नही है की हमारे कप्तान साब एक अच्छे खिलाड़ी है लेकिन मुझे ऐसा लगता है अपने सीनियर खिलाड़ियों का सम्मान न करके उन्होंने ग़लत ही किया है। आप अगर टीम के कप्तान हो तो आपको सब लोगों को साथ में रख कर चलना आना चाहिए न की किसी के अनुभव को नज़र अंदाज़ करके टीम में सिर्फ़ अपने वर्चस्व को साबित करना।
कोई कुछ भी बोले हम तो मानते है की हमारे कप्तान साब ने कुछ फैसले ग़लत ही लिए है , अब भइया सचिन तेंदुलकर ने अपने सम्मान की रक्षा करने के लिए ही टी २० से अपना नाम वापस लिया है नही तो उनका हश्र भी बाकी सिनिअर्स जैसा हो जाता क्योंकि हमारे सिनिअर्स में कितना दम है ये तो वो लोग आई पी एल में साबित कर ही चुके है।
कप्तान साब अभी तक तो आपकी किस्मत ने आपका साथ दिया है लेकिन हर बार नही और जो नीचे होता है वो ऊपर जरुर आता है इसलिए जो ऊपर है उसे नीचे आना ही पड़ेगा। सफलता हर समय आपके साथ नही रहेगी , इस बात को हमेशा ध्यान में रख कर अपने आधार को कभी भूलना नही चाहिए।

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Aditya Dubay
हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |
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