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Thursday, June 18, 2009

रामायण - एक भव्य गाथा का समापन

हाँ भइया ख़बर ये है की एक और अच्छे धारावाहिक का समापन होने जा रहा है। भाई रामायण का आखरी एपिसोड जल्द ही प्रसारित होने वाला है। रामायण एक ऐसी महागाथा है जो आपको बहुत कुछ सिखाती है। आप इस महागाथा के हर सन्दर्भ से कुछ न कुछ सिख सकते है , लेकिन अब और नही अब तो भइया राखी सावंत का स्वयंवर होने वाला है और हमे उसे दिखाया जाएगा। देखना न देखना तो हमारे ऊपर ही है लेकिन...
मुझे ये समझ नही आता है की आज भी लोग कुछ अच्छा देखना चाहते है तो क्यों ये चैनल वाले कुछ अच्छा दिखाने से परहेज करते है? कोई कुछ भी बोले मैं तो ये नही मान सकता की ये स्वयंवर एक अच्छा आईडिया है, अगर आपको कुछ अलग और अच्छा करना ही था तो आप भी स्टार प्लस के जैसे कोई मेट्रीमोनी कार्यक्रम दिखा सकते थे।
एक महागाथा का रिप्लेसमेंट कुछ तो स्तरवाला होना चाहिए था। अब भले ही मैं बिना देखे अपनी प्रतिक्रिया दे कर ग़लत कर रहा होऊंगा लेकिन मैं यह नही मान सकता की एक एक अच्छी पहल है। काश की हमे इस बात की आज़ादी होती की हम सीधे इस तरह के सो कॉल्ड रियलिटी शो का खुले आम विरोध कर चैनल वालो को कुछ तो अच्छा दिखाने पर मजबूर कर देते।

1 comments:

Dipti said...

बढ़िया लिखता है मेरा भाई तो...
बहुत ही अच्छी पोस्ट हैं, पापा की विरासत को बखूबी निभा रहो हो...

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Aditya Dubay
हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |
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